Thursday 2 May 2024

अमृत महोत्सव से अमृत काल की यात्रा...

 अमृत महोत्सव से अमृत काल की यात्रा...

वैसे तो प्रत्येक भारतवासी के लिए, भारवंशियों के लिए स्वतंत्रता दिवस असीमित गर्व और उल्लास का दिन होता है, फिर भी वर्ष 2023 का स्वतंत्रता दिवस अनेक अर्थों में अपना विशेष महत्त्व रखता है। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में इसे न केवल देखा जा सकता है, वरन् अनुभूत भी किया जा सकता है। हमने दो वर्ष पूर्व अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण किए थे। इस अवसर पर भारत के माननीय प्रधानमंत्री मोदी ने अमृत महोत्सव की घोषणा की थी। स्वतंत्रता का यह अमृत महोत्सव वर्ष पर्यंत चलना था, अर्थात् 15 अगस्त, 2022 को अमृत महोत्सव को पूर्ण होना था। लेकिन भारतीयों के अतुलनीय उत्साह और देशभक्ति के भाव ने यह संदेश दिया, कि इस महोत्सव को एक वर्ष की सीमा से आगे बढ़ाकर ले जाना चाहिए।

कहना न होगा कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में देश भर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। भारत अमृत महोत्सव में आसेतु हिमालय ऐसा उत्साह जन-जन में दिखा, जिसको शब्दों के माध्यम से बाँधकर व्यक्त कर पाना कठिन है। यह भावना का विषय था, यह देश के प्रति अपने भावों को अभिव्यक्त करने का संदर्भ था, यह स्वातंत्र्य समर में अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले अनेकानेक भारतीयों की स्मृतियों को सँजोने और साझा करने का उपक्रम था। भारत अमृत महोत्सव के वर्ष-पर्यंत चलने वाले कार्यक्रमों का एक बड़ा अंग उन हुतात्माओं को स्मरण करने से संबंधित था, जिन्हें इतिहास की पुस्तकों में स्थान नहीं मिला, जो अज्ञात रह गए, अचर्चित रह गए। हमने देश के उन स्थानों को भी जाना, जहाँ हमारे अनेक क्रांतिवीरों ने अपने शौर्य और पराक्रम की गाथाएँ रचीं। इतिहास के उन पन्नों को पलटा गया जो देश की बड़ी आबादी के लिए अनजाने थे, अज्ञात थे। वर्ष-भर के ऐसे आयोजनों और कार्यक्रमों ने 15 अगस्त, 2022 तक सारे देश को असीमित गर्व से भर दिया था।

देश के अनेक अनाम वीरों और क्रांतिकारियों को खोजने, उन्हें सभी के सामने लाने और उनके प्रति कृतज्ञता अर्पित करने के लिए एक वर्ष का समय पर्याप्त नहीं था। एक क्रम, एक गति देश के साथ जुड़ते हुए, देशभक्ति की भावना में गोते लगाते हुए चल रही थी, जिसे और आगे तक ले जाने की आवश्यकता थी। इस आवश्यकता को देखते हुए वर्ष 2022 के पंद्रह अगस्त को लाल किले की प्राचीर से भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने भारत अमृत महोत्सव को अगले स्वतंत्रता दिवस तक चलाने की घोषणा की थी। भारत अमृत महोत्सव का यह दूसरा वर्ष भी बहुत महत्त्व का रहा। अनेक ऐसी योजनाएँ, जो सारे देश को राष्ट्रीयता की भावना के साथ जोड़ सकें, अमल में लाई गईं। वीरों और क्रांतिकारियों की स्मृतियों को सँजोते-सहेजते हुए देश भर में अनेक व्याख्यानों और आयोजनों के साथ ही स्वाधीनता के अमृत महोत्सव की साक्षी अनेक पुस्तकें भी बनीं, जिनका प्रकाशन वर्ष भर अनेक विश्वविद्यालयों और संस्थाओं से होता रहा। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव से जुड़े एक-दो कार्यक्रमों का उल्लेख यहाँ प्रासंगिक होगा। भारत की ऐसी सीमाएँ, जहाँ वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया, उनको सारे देश के साथ जोड़ने के लिए सीमांत पर्यटन योजना बहुत प्रभावी और रोचक सिद्ध हुई है। अनेक सीमांत क्षेत्रों में जा-जाकर लोगों ने इन क्षेत्रों की समस्याओं को समझा और साथ ही देशभक्ति की भावना को अनुभूत किया। ऐसी ही एक योजना वाइब्रेंट विलेज योजना है। इसके साथ ही ‘मेरी माटी मेरा देश’ एक ऐसे अभियान के रूप में इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस के कुछ माह पहले प्रारंभ हुआ, जिसने उन अनेक वीरों, हुतात्माओं और क्रांतिकारियों के साथ समूचे देश को जोड़ा, जो अज्ञात थे, जिनके बारे में लोगों को कम जानकारियाँ थीं।

विभिन्न आदिवासी क्रांतिकारी, जिनको इतिहास में विद्रोही बताकर इतिश्री कर ली गई थी, उनके अप्रतिम योगदान, उनके अतुलनीय बलिदान को नए सिरे से, पूरी सच्चाई के साथ सामने लाने हेतु देश भर के विभिन्न आदिवासी क्षेत्रों से सूचनाएँ और जानकारियाँ एकत्रित की गईं। प्रदर्शनियों और झाँकियों के रूप में इनका देश भर में प्रदर्शन हुआ, चर्चाएँ भी हुईं। क्रांतितीर्थ जैसे आयोजनों के माध्यम से उन वीरांगनाओं को भी सम्मानित करने और कृतज्ञता ज्ञापित करने का कार्य किया गया, जिन्होंने विभिन्न युद्धों व संघर्षों में अपने पति, अपने पुत्र का बलिदान दिया। देश के विभिन्न स्थानों में क्रांतिकारियों के आँगनों से, गाँवों से पवित्र माटी संकलित की गई, ताकि राष्ट्रीय स्मारक में उपयोग करके देश को एक सूत्र में बाँधा जाए और आने वाली पीढ़ियों को अपने वीर बलिदानी पुरखों के बारे में बताया भी जाए।

इन्हीं प्रयासों को साथ लिए हुए, देशभक्ति के भावों से भरकर हमने हाल ही में अपना स्वतंत्रता पर्व मनाया। इस वर्ष 15 अगस्त को भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री ने लाल किले से भाषण देते हुए केंद्र सरकार के विगत लगभग दस वर्षों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, कि- सन् 2014 में हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में 10वें स्थान पर थे। आज 140 करोड़ देशवासियों का पुरुषार्थ रंग लाया है और हम विश्व की 5वीं अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। हमने लीकेज बंद करके (अर्थात् भष्टाचार पर लगाम), मजबूत अर्थव्यवस्था बनाकर और गरीबों के कल्याण की अनेक योजनाओं को व्यवहार में उतारकर इस स्थान को पाया है।

इस वर्ष स्वाधीनता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री देशवासियों को ‘मेरे प्यारे परिवार जन’ कहकर संबोधित कर रहे थे। यह संबोधन 140 करोड़ देशवासियों के साथ ऐसे भावनात्मक जुड़ाव को व्यक्त कर रहा था, जिस जुड़ाव ने एक साथ कदम से कदम मिलाकर देश को वैश्विक स्तर पर मजबूती के साथ खड़ा किया। प्रधानमंत्री मोदी ने लोकतंत्र की शक्ति, युवा जनसंख्या के बल और विविधता की त्रिवेणी का उल्लेख करते हुए कहा, कि इसी त्रिवेणी ने भारत के हर सपने को साकार करने की ताकत दी है। आज इसी के बल पर हमारे युवाओं ने विश्व के पहले तीन ‘स्टार्टअप इकोसिस्टम’ में स्थान दिलाया है। उन्होंने कहा, कि विश्वभर में भारत की चेतना के प्रति विश्वास पैदा हुआ है। मेरी सरकार और मेरे देशवासियों का मान ‘राष्ट्र प्रथम’ के वाक्य से जुड़ा है।

हाल ही में मणिपुर की घटनाओं पर दुःख व्यक्त करते हुए उन्होंने शीघ्र ही स्थितियों के सामान्य होने की कामना की। इसके साथ ही उन्होंने देश की आंतरिक और सीमांत सुरक्षा पर सुदृढ़ और सशक्त नीति का उल्लेख करते हुए कहा, कि- आज देश में आतंकी हमलों में कमी आई है और नक्सली घटनाएँ बीती बातें हो गईं हैं। यह नया भारत है, जो न रुकता है, न हाँफता है।

प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का सबसे बड़ा पक्ष भविष्य की कार्ययोजना का था। उन्होंने स्थिर सरकार की कार्यशैली का उल्लेख करते हुए कहा, कि देशवासियों ने स्थिर सरकार ‘फॉर्म’ की, तब मोदी ने ‘रिफार्म’ किया, नौकरशाही ने ‘परफार्म’ किया और जनता जुड़ गई तो ‘ट्रांसफार्म’ किया। इस गति को उन्होंने आगे तक ले जाने की बात कही। वे पिछले 1000 वर्षों से आगामी 1000 वर्षों तक के भारत की यात्रा को व्याख्यायित करते हुए इस स्वतंत्रता दिवस को एक पड़ाव की तरह बताना चाह रहे थे।

इस वर्ष स्वाधीनता के अमृत महोत्सव की पूर्णता के साथ ही सन् 2047 के लिए सभी को एक साथ मिलकर चलने के लिए आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अमृत महोत्सव की पूर्णता से अमृत काल के लिए चल पड़ने की बात कही। उन्होंने कहा, कि- वर्ष 2047 में जब देश स्वाधीनता के 100 वर्षों का उत्सव मना रहा होगा, तब भारत का तिरंगा विकसित भारत का तिरंगा झंड़ा बने, ऐसी कामना है। उन्होंने कहा, कि- हमें खोई हुई समृद्धि का गर्व करते हुए, खोई हुई समृद्धि को प्राप्त करते हुए हमको यह मानकर चलना होगा, कि आज हम जो कदम उठाएँगे, वे अगले एक हजार वर्ष तक की हमारी दिशा तय करेगा।

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री का नए भारत के लिए, ‘न्यू इंडिया’ के लिए ‘विजन 2047’ अमृत काल से जुड़ा हुआ है। अमृत काल भारतीय वाङ्मय में उस काल को कहा जाता है, जो किसी कार्य को करने के लिए उचित होता है और अपेक्षित सफलता उस काल में प्राप्त होती है। यह एक प्रकार से शुभ मुहूर्त होता है। माननीय प्रधानमंत्री ने अमृत काल के लिए पाँच प्रणों की बात करते हुए इन्हें स्वाधीनता के शताब्दी वर्ष तक पूर्ण करने की बात कही है।

प्रधानमंत्री मोदी के पंच प्रण में पहला संकल्प विकसित भारत का है। इसमें देश के ग्रामीण और शहरी सभी क्षेत्रों को मूलभूत संसाधनों व सुविधाओं से युक्त करने की बात है। दूसरा संकल्प गुलामी से मुक्ति  का है। हमारे मन में गुलामी का एक अंश भी शेष न रह जाए और हम मन व कर्म से स्वाधीन अनुभूत करें। तीसरा संकल्प विरासत पर गर्व का है। हमें अपनी गौरवपूर्ण विरासत पर गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। हम विश्व को बहुत कुछ दे सकते हैं। चौथा संकल्प एकता और एकजुटता का है। हमें एक होकर, अपनी विविधताओं को एक सूत्र में बाँधकर भारत की समृद्धि के लिए, विकास के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे। पाँचवा संकल्प नागरिकों का कर्तव्य है। देश के सभी नागरिक अपने कर्तव्यों का निष्ठा व लगन के साथ पालन करके देश के विकास में अपना योगदान दें।

स्वाधीनता दिवस पर लाल किले से हमारे माननीय प्रधानमंत्री का भाषण अमृत महोत्सव से अमृत काल की ओर बढ़ने का संदेश देते हुए असीमित ऊर्जा से भरा हुआ था। एक आत्मविश्वास, जो अपने ‘परिवार जनों’ के साथ संबोधित होते हुए झलकता है, उसे हम अपने मार्गदर्शक की ओजस्वी वाणी में अनुभूत कर रहे थे। निःसंदेह हमारा शीर्ष नेतृत्व अमृत महोत्सव से अमृत काल की ओर अग्रसर होते हुए विकसित भारत की संकल्पना को साकार करता प्रतीत होता है। इस हेतु हम भारतवासी अपने यशस्वी प्रधानमंत्री के प्रति कृतज्ञ हैं।

-राहुल मिश्र

(सीमा जागरण मंच के मुखपत्र सीमा संघोष के अगस्त, 2023 अंक में प्रकाशित)

No comments:

Post a Comment