Sunday 1 January 2023

जी-20 की अध्यक्षता : नए भारत का वैश्विक-सूचकांक

 

जी-20 की अध्यक्षता : नए भारत का वैश्विक-सूचकांक


इस वर्ष (2022) के दिसंबर माह का पहला दिन भारत के लिए असीमित प्रसन्नता और गर्व का क्षण लेकर आया। जी-20, अर्थात् बीस देशों के समूह की अध्यक्षता का अवसर भारत को मिला है। वैसे तो विगत वर्ष दिसबंर माह में ही इसकी आधारशिला रख दी गई थी, जब भारत जी-20 ट्रोइका में सम्मिलित हुआ था। वर्ष भर बाद यह सुखद क्षण जब भारत के हिस्से में आया, तो भारत के अंदर ही नहीं, वैश्विक नेतृत्व की भारत की क्षमता को देखने-समझने वाले विश्व के अनेक देशों में इस प्रसन्नता की लहर को देखा गया है।

ग्रुप-20 विश्व के ऐसे बीस देशों का संगठन है, जिसमें महाद्वीपीय विविधता के साथ ही आर्थिक संपन्नता के स्तर पर विकसित और विकासशील देशों की विविधता भी है। यदि भारत के संदर्भ में कहें, तो भारत के सीमावर्ती-पड़ोस के संबंधों का भी बड़ा पक्ष इससे जुड़ा हुआ है। जी-20 में भारत का ऐसा पडोसी भी है, जिसके साथ संबंधों की बुनावट समय-समय पर जाँची-परखी जाती है। चीन की जी-20 में उपस्थिति भारत के संबंध में एक अलग आयाम गढ़ती है, एक अलग असर छोड़ती है। इसी कारण विगत वर्ष जी-20 ट्रोइका में भारत का नाम आते ही वैश्विक हलचल के साथ ही एशिया उपमहाद्वीप में भी बड़ी हलचल देखी गई थी। स्वाभाविक ही था, कि अपने पड़ोसी को वैश्विक मंच पर अध्यक्ष की आसंदी के निकट देखना भारत के स्वाभाविक विरोधियों को सहन नहीं हुआ होगा। कहना न होगा कि भारत की उत्तरी सीमा पर पूरब से लगाकर पश्चिम तक अराजकता व आतंक का समूचा परिवेश संभवतः इसी कारण गढ़ा गया होगा, कि भारत की ओर से किसी भी तरह की पहल करने पर विश्व मंच में भारत के विरुद्ध एक माहौल बनाया जाए, ताकि जी-20 की अध्यक्षता का अवसर भारत के हाथ से निकल जाए। लेकिन ऐसा नहीं हो सका, और जी-20 ट्रोइका में सम्मिलित भारत को अध्यक्षता मिल गई।

जी-20 ट्रोइका में तीन देश होते हैं। तीन देशों का एक छोटा समूह होता है, जिसमें जी-20 के वर्तमान अध्यक्ष के साथ ही पूर्व अध्यक्ष और भावी अध्यक्ष होते हैं। दिसंबर 2021 में भारत के इस ट्रोइका में सम्मिलित होने के साथ ही इस वर्ष के लिए भारत की अध्यक्षता तय हो गई थी। इंडोनेशिया के बाली में संपन्न हुए सम्मेलन में भारत को अध्यक्षता के लिए नामित किया गया। इसके साथ ही भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी को अध्यक्ष देश के प्रतिनिधि के रूप में सेशन हैमर (लकड़ी का हथौड़ा) दिया गया। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो से अध्यक्षता के प्रतीक के रूप में लकड़ी के इस हथौड़े को बहुत गर्व के साथ ग्रहण करते और प्रदर्शित करते हुए भारत के सम्मान्य प्रधानमंत्री के चित्र सोशल नेटवर्किंग के पटलों पर खूब प्रसारित हुए थे। सारे विश्व में फैले भारतवंशियों के लिए भी यह बहुत गौरव और गर्व का क्षण था। यह लकड़ी का हथौड़ा उन बीस देशों के समूह की अध्यक्षता का प्रतीक है, जिनका सारी दुनिया में वर्चस्व और बोलबाला है।

जी-20 समूह को आर्थिक रूप से विश्व के सबसे ताकतवर समूह के रूप में जाना जाता है। इस समूह की दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में 85 प्रतिशत भागीदारी है। विश्व की कुल जीडीपी में से 80 प्रतिशत की भागीदारी जी-20 समूह के देशों की है। इसके साथ ही इस समूह की वैश्विक व्यापार में लगभग 75 प्रतिशत की भागीदारी है। विश्व की कुल जनसंख्या का 60 प्रतिशत जी-20 समूह के देशों में है। ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और अमरीका जैसे विकसित देशों के साथ ही सऊदी अरब, जापान और जर्मनी आदि देश इसके सदस्य हैं। भारत का पड़ोसी देश चीन भी इस समूह का सदस्य है। समूह के सदस्य देशों के माध्यम से ही समूह की वैश्विक स्तर पर स्थिति और इसके प्रभाव का आकलन किया जा सकता है। ऐसे प्रभावशाली और वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण समूह की अध्यक्षता भारत के लिए कोई सामान्य बात नहीं है। यह भारत के वैश्विक प्रभाव और विश्व-स्तर पर भारत की स्वीकार्यता का एक मानदंड है, मापक है।

भारत को जी-20 की अध्यक्षता ऐसे विषम समय में मिली है, जबकि समूह के सदस्य देशों के मध्य संबंध बहुत सहज नहीं हैं। बाली शिखर सम्मेलन के ठीक पहले ही पौलैंड में मिसाइल गिरने के बाद नाटो देशों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया दी जा रही थी। दूसरी ओर जी-20 में ही यूक्रेन संकट के कारण सदस्य देश आपस में बँटे हुए थे। रूस और अमरीका के मध्य यूक्रेन को लेकर चल रही तनातनी का प्रभाव बाली शिखर सम्मेलन में भी दिख रहा था। दूसरी ओर कोविड-19 की विभीषिका के कारण वैश्विक मंदी और अन्य कारक भी प्रबल थे। ऐसी विषम स्थिति में अध्यक्ष का दायित्व स्वीकारना कोई सहज कार्य नहीं था। यह भारत की वैश्विक स्वीकार्यता का ऐसा क्षण था, कि भावी अध्यक्ष के रूप में भारत को सामने देख विश्व के महायोद्धाओं ने भी अपने रुख को नरम और सहज बनाया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जब भारत के विजन, भारत की भावी कार्ययोजना के लिए संकल्पसूत्र को रखा गया, तो उसे सभी ने स्वीकार किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर को वैश्विक स्तर पर भारत की वसुधैव कुटुंबकम् की परंपरा के अनुरूप निर्वहन करने का स्पष्ट संदेश दिया है। उनका कहना, कि भारत इसे ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की तरह लेकर चलेगा, समूह के सभी देशों के लिए भारत की अध्यक्षता में जी-20 की आगामी कार्ययोजना को निर्धारित करने हेतु एक नियामक निर्णय के तौर पर स्वीकार्य हुआ।

जी-20 समूह के अध्यक्ष के रूप में भारत का कार्यभार सँभालना निःसंदेह विषम स्थितियों में हुआ है। एक ओर रूस-यूक्रेन विवाद में सभी सदस्य देश आपस में बँटे हुए हैं, तो दूसरी ओर चीन के ताइवान पर आक्रामक रवैये के कारण अमरीका सहित यूरोपीय देशों की अपनी नाराजगी है। दूसरी तरफ भारत के साथ भी चीन के संबंध सहज नहीं हैं। चीन और भारत की तनातनी के लिए विगत तीन वर्ष बहुत चर्चित रहे हैं, जब भारतीय सीमा में चीन की घुसपैठ का मुँहतोड़ उत्तर भारतीय सेना द्वारा दिया गया। गालवान, दौलतबेग ओल्डी, गोगरा हाट-स्प्रिंग आदि स्थानों में भारत के प्रबल प्रतिरोध और भारतीय सेना की सक्रिय कार्यवाही के बाद चीन के राष्ट्रपति का बाली में भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ पहली बार आमना-सामना हुआ था। सूत्र बताते हैं, कि दोनों के मध्य कोई बात नहीं हुई। मिलने पर गर्मजोशी के स्थान पर मात्र औपचारिकता थी। ऐसी दशा में चीन के लिए भारत का नेतृत्व स्वीकारना कितना जटिल और कठिन होगा, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। यह भले ही भारतवासियों के लिए गर्व की बात हो, लेकिन उससे कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण भी है। ऐसी विपरीत और विषम स्थितियों में न केवल अध्यक्षीय दायित्व को सँभालना, वरन् कुशलतापूर्वक इस दायित्व को निभाना भारत के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के कौशल को प्रदर्शित करता है।

रूस और यूक्रेन विवाद पर भारत की निरपेक्षता और समूह के सदस्य देशों को युद्ध व अशांति-अस्थिरता के स्थान पर रचनात्मक और विकासात्मक अवधारणा को आत्मसात् करने का भारत का संदेश समूह के देशों ने स्वीकारा है। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि भी है, और विश्व-स्तर पर भारत के नेतृत्व-कौशल का मानक भी है। विश्व की कुल जनसंख्या की 60 प्रतिशत भागीदारी यदि जी-20 समूह के लिए बड़ा जनबल है, तो दूसरी ओर इस विशाल जनसंख्या के साथ चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। वैश्विक आर्थिक मंदी, रोजगार, चिकित्सा, शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ ही पर्यावरण की चुनौतियों से निबटने के लिए सकारात्मक कार्ययोजना बनाना, उसे क्रियान्वित करने के लिए उपयुक्त परिवेश बनाना समूह के अध्यक्ष के रूप में भारत की प्राथमिकताओं में है। जलवायु परिवर्तन का संकट, पर्यावरण-पारिस्थितिकी असंतुलन के साथ ही शांति व सुरक्षा की चुनौतियों को भारत ने जी-20 समूह के अध्यक्ष के रूप में अपनी प्राथमिकताओं में रखा है।

जी-20 समूह के अध्यक्ष के रूप में भारत की भूमिका निष्पक्षता के साथ रचनात्मकता और सकारात्मकता को बढ़ावा देने के रूप में होगी, यह संदेश भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री द्वारा बाली में अपने संबोधन में दिया गया है। कोविड-19 महामारी के ‘दुनिया में कहर’ के बाद जिस सकारात्मकता के साथ विकास की ओर अग्रसर होने की अपेक्षा जी-20 के नवनियुक्त अध्यक्ष से की जा रही थी, उसे समूह के देशों के साथ ही विश्व-मंच ने अनुभूत किया है। इसी कारण भारत के प्रति विश्व-मंच की धारणा बदली है। भारत में नेतृत्व के कौशल को देखा जा रहा है। भारत की बात को अब विश्व गंभीरता के साथ सुनता भी है, और गुनता भी है। जी-20 जैसे महत्त्वपूर्ण मंच की अध्यक्षता और भारत में शिखर सम्मेलन के साथ ही अनेक शिखर वार्ताओं, बैठकों और चर्चाओं से एक सार्थक और सकारात्मक विश्व-दृष्टि की कामना न केवल जी-20 समूह के देशों को है, वरन् समूचे वैश्विक समाज को भी है।

भारत के विभिन्न प्रांतों में उनकी अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक-सामाजिक पहचान को एक वैश्विक मंच देने के उद्देश्य के साथ देश भर में जगह-जगह जी-20 समूह की बैठकें कराने के लिए योजनाएँ बन रहीं हैं, और अमल में भी लाई जाने लगीं हैं। भले ही विपक्ष के लिए विरोध के अवसर मिलते रहें, लेकिन भारतीय राजनीतिक नेतृत्व ने विधिवत् लोकतांत्रिक प्रक्रिया और देश के इस गौरवपूर्ण अवसर के लिए सभी की सहभागिता को सुनिश्चित किया है। सभी को साथ लेकर इसकी योजनाएँ बन रहीं हैं। भारत को विश्व-पटल पर एक नई पहचान इस अवसर के साथ मिल रही है। इसका लाभ भारत की अर्थव्यवस्था को भी मिलेगा।

समग्रतः, जी-20 समूह की अध्यक्षता का यह अवसर भारत के लिए उस वैश्विक सूचकांक की तरह है, जिसमें विश्वगुरु के रूप में उभरते भारत की छवि झलकती है, जिसमें भारत के गौरवपूर्ण अतीत के दर्शन होते हैं, जिसमें तकनीकी व नवाचार में नए कीर्तिमान स्थापित करता भारतदेश है, जिसमें कोविड-19 महामारी की विकरालता के दंश को अपने कुशल प्रबंधन से परास्त करके वैश्विक पटल पर उभरता हमारा भारत है। यह नए भारत का वैश्विक सूचकांक है, जिसमें जी-20 की अध्यक्षता के बहाने शीर्ष पर लहराता तिरंगा दिखता है, नया भारत दिखता है।
-राहुल मिश्र
(सीमा जागरण मंच के मुखपत्र- सीमा संघोष के दिसंबर, 2022 अंक में प्रकाशित)

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